ऑप्टो इलैक्ट्रोनिक्स फैक्टरी, देहरादून (ओएलएफ) की स्थापना 4 अप्रैल,1988 को पहले के यूएसएसआर के तकनीकी सहयोग से टी-72 टैंक एवं थल सेना के युद्ध वाहन (आईसीवी) बीएमपी-।। जिसे सारथ के नाम से भी जाना जाता है, के लिए हाई-टैक आप्टीकल एवं ऑप्टो इलैक्ट्रोनिक उपकरणों के निर्माण के लिए की गई थी।
वर्ष 2001 में भारतीय सेना द्वारा टी-90 एस टैंक जिसे भीष्म के नाम से जाना जाता है, को शामिल किए जाने के साथ ही विद्यमान आधारभूत ढांचे को अतिरिक्त आधुनिक प्लांट एवं मशीनों से अद्यतन किया गया। आधुनिकतम उत्पादन सुविधाओं से युक्त होने के बावजूद, ओएलएफ ने ऑप्टिक्स एवं इलैक्ट्रोनिक क्षेत्रों में उन्नत डिजाइन बनाने की क्षमता विकसित की है।
पिछले 27 वर्षो से निर्माणी ने लगातार सफलताएं प्राप्त करते हुए अपने को भारतीय सेना की कवचीय युद्धक वाहनों (एएफवी) के लिए पैसिव नाइट वीज़न डिवाइस एवं थर्मल इमेजर, डे-विज़न डिवाइसेज, जाइरो स्टेबलाइज्ड साइटिंग सिस्टम, लेजर रेंज फाइन्डर्स, टैंक फायर कन्ट्रोल सिस्टम, इलैक्ट्रोनिक असेंबलीज फॉर पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन एवं कन्ट्रोल के उत्पादन में विश्वस्तरीय सुविधाओं को विकसित किया है।
इसके प्रारम्भ से ही, इन प्रणालियों के उत्पादन में निर्माणी ने महान कुशलता एवं अनुभव को प्राप्त किया है जो बाद में नयी साइटिंग प्रणालियों को विकसित करने में एवं विद्यमान प्रणालियों को उन्नत बनाने में काम आया। टी-90 टैंक के लिए टीआई साइट के सह-उत्पादन के माध्यम से ओएलएफ ने थर्मल इमेजिंग (टीआई) के क्षेत्र में पदार्पण किया। एएफवी की इलैक्ट्रोनिक प्रणालियों के देशीकरण के साथ ही ओएलएफ ने अप्रचलित प्रणालियों को हटाकर आधुनिक इलैक्ट्रोनिक्स को अपनाया और साइटिंग प्रणालियों, नाइट विजन डिपाइसेज एवं फायर कंट्रोल सिस्टम के क्षेत्र में एक बड़ा प्रणाली समाकलक/समायोजक बन चुका है।
